Saturday, 4 February 2012

ए हिंद देश के लोगों, सुन लो मेरी दर्द कहानी।

ए हिंद देश के लोगों, सुन लो मेरी दर्द कहानी। क्यों दया धर्म विसराया, क्यों दुनिया हुई वीरानी। जब सबको दूध पिलाया, मैं गौ माता कहलाई, क्या है अपराध हमारा, जो काटे आज कसाई। बस भीख प्राण की दे दो मै द्वार तिहारे आई, ... मैं सबसे निर्बल प्राणी, मत करो आज मनमानी॥ जब जाउँ कसाईखाने,चाबुक से पीटी जाती, उस उबले जल को तन पर, मैं सहन नहीं कर पाती। जब यंत्र मौत का आता, मेरी रुह तक कम्प जाती, मेरा कोई साथ न देता, यहाँ सब की प्रीत पहचानी॥ उस समदृष्टि सृष्टि नें, क्यों हमें मूक बनाया, न हाथ दिए लड़नें को, हिन्दु भी हुआ पराया। कोई मोहन बन जाओ रे, जिसने मोहे कंठ लगाया, मैं फर्ज़ निभाउँ माँ का, दूँ जग को ममता निशानी॥ मैं माँ बन दूध पिलाती, तुम माँ का मांस बिकाते, क्यों जननी के चमड़े से तुम पैसा आज कमाते। मेरे बछड़े अन्न उपजाते पर तुम सब दया न लाते, गौ हत्या बंद करो रे, रहनें दो वंश निशानी॥

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